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बरेली- महाविध्यालय बरेली कॉलेज, बरेली की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई-द्वितीय के सात दिवसीय शिविर का शुभारम्भ दिनांक 22 फरवरी को कार्यक्रम अधिकारी सुश्री कोमल मित्तल के पथ प्रदर्शन मे सरस्वती शिशु मंदिर नैनीताल मार्ग स्थित विद्यालय मे किया गया। भारतीय परम्परा के अनुसार वंदनीय माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन कर शिविर के प्रथम दिन की शुरुआत की।

राष्ट्रीय सेवा योजना का तो उद्देश्य ही सेवा के माध्यम से छात्राओं के व्यक्तित्व का विकास करना होता है। अर्थात जैसा की एनएसएस का मोटो है 'नॉट मी बट' यानि हमसे पहले आप।

सर्वप्रथम शिविर स्थल मे स्वंयसेविकाओं द्वारा स्वच्छता अभियान व श्रमदान किया गया तत्पश्चात शिविर के शुभांरभ कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाध्यापक श्री सुनील कुमार सिंह, उप प्रधानाध्यापक श्रीमती मंजू अग्रवाल उपस्थित रहे। द्वितीय चरण मे भिन्न-भिन्न समितियों का गठन किया गया जिससे सभी कार्यों को स्वंयसेविकाएं सुचारु रूप से करना सीख सकें। शिविर प्रमुख शिवानी गुप्ता, शिविर सेनापति रूबी, आय व्यय प्रमुख हिमांशी, सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रमुख काजल शर्मा, अनुशाशन समिति प्रमुख प्राची शर्मा को बनाया गया।

द्वितीय दिवस पर भी स्वंयसेविकाओं का उत्साह जोर शोर से बरकरार रहा।
द्वितीय दिवस 'कौशल विकास क्षेत्र मे तकनीक युवा' विषय पर आधारित रहा। प्रथम चरण में श्रमदान व सजावट हेतु व्यर्थ सामग्री द्वारा क्राफ्ट बनाये जिसमें मरियम मलिक, रूबी, काजल शर्मा आदि ने सहयोग किया।
शिविर में प्रियांशी, शिवानी गुप्ता, हिमानी, शिवांगी शर्मा, राखी पंत आदि स्वंयसेविकाओं का विशेष योगदान रहा।
तृतीय दिवस भी सभी स्वंयसेविकाओं ने बड़े हर्षोल्लास के साथ आरम्भ किया। विषय 'महिला शसक्तीकरण तथा किशोरावस्था से जुड़ी समस्या व निदान हेतु उपाय पर आधारित रहा।'
प्रथम चरण मे सभी स्वंयसेविकाओं द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर से कुदेशिया फाटक निकट स्थित मलिन बस्ती तथा जनकपुरी स्थित मलिन बस्ती में गगनचुम्बी नारों के साथ रैली निकली गई व साथ ही साथ नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को नारी की महत्वत्ता व प्रत्येक क्षेत्र मे महिलाओंं की सफलता विषय पर जागरूक किया। जिसमें प्राची शर्मा, कंचन गुप्ता, यशोदा मौर्या, हिमांशी, मेघा भारती आदि ने प्रस्तुति दी।
तत्पश्चात् श्रीमती सुषमा अग्रवाल, समाजसेविका द्वारा महिला शसक्तीकरण विषय पर जागरूकता प्रदान कर सभी मे ऊर्जा का संचार उत्पन्न कर दिया। व इसी क्रम मे तीनो दिन का ये उद्देश्य रहा कि हम सभी अपने यथासम्भव प्रत्येक प्रयास से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक व स्वावलंबी बना सकें।

शिविर मे नियमानुसार सभी स्वंयसेविकाएं प्रवेश करती है तत्पश्चात अपने शिविर स्थल की सफाई कर, प्रार्थना, योगा व राष्ट्रीय सेवा योजना का लक्ष्य गीत गाकर रैली व नाटक द्वारा अपनी बात को लोगों तक सरल रूप मे पहुचांया जाता है।अंत में भी लक्ष्यगीत के साथ ही शिविर दिवस की समाप्ति होती है। क्यूँकि सेवा किसी विशेष दिन अथवा समय का कार्य नहीं वरन निरंतर गतिमान रहने वाला एक भाव है।
