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बरेली - नोटा जागरूकता अभियान के अंतर्गत आज एक वैचारिक गोष्टी बरेली कलेक्ट्रेट के बड़े वकालत खाने में हुई जिसमें कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भाग लिया।

विषय पर प्रकाश डालते हुए नोटा जागरूकता अभियान के संयोजक विकल्प संस्था के अध्यक्ष राज नारायण ने कहा की नोटा के बारे में अभी तो बुद्धिजीवी वर्ग में भी बहुत भ्रम हैं, नोटा के बारे में पूरी जानकारी ना होने के कारण वह उसे लेकर या तो उदासीन है या फिर उसको नकारात्मक वोटिंग समझकर खारिज कर देते हैं जबकि नोटा अपने आप में कोई कानून नहीं मात्र सभी प्रत्याशियों को रिजेक्ट करने की मतदान में प्राप्त शक्ति का ही गोपनीयकरण है।
उन्होंने कहा आज वकीलों ने इस जागरूकता अभियान से जुड़कर नोटा के बारे में प्रचलित भ्रम को दूर करने का जो निश्चय किया उसके दूरगामी परिणाम होंगे। राज नारायण ने नोटा के उपयोग से राजनीतिक पार्टियों के सुधार पर भी विस्तार से प्रकाश डाला । सर्वोदय मंडल की पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर सुचित्रा डे ने कहा की नोटा जागरूकता मुहिम नोटा का प्रचार अभियान नहीं है बल्कि मतदाता को उसके अधिकार और शक्ति का बोध कराना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सीनियर एडवोकेट अंतरिक्ष सक्सेना ने कहा की अगर सभी प्रत्याशी ऋणात्मक मान्यता के हैं तो उनमें से बेस्ट को चुनने से अच्छा है कि हम जीरो को वोट दें यानी नोटा पर चोट करें । अधिवक्ता पुनीत मिश्रा ने कहा कि संसद को जनता की इच्छाओं का सम्मान करते हुए नोटा को अधिक शक्तिशाली बनाने की जरूरत है। नितिन भाटिया ने कहा की अगर जीत का अंतर नोटा को मिले वोटों से कम है तो राजनीतिक पार्टियों पर जबरदस्त दबाव बनता है और वह गलत प्रत्याशी को टिकट देने से परहेज करेंगे। मोहम्मद असलम निशांत संतोषी नरेंद्र जय सक्सेना करिश्मा ने भी चर्चा में भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए। यह तय किया गया कि कल जिलाधिकारी को एक ज्ञापन दिया जाए जिसमें उन्हें याद दिलाया जाए की सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार चुनाव आयोग को ही नोटा की जागरूकता अभियान संचालित करें पर अभी तक बरेली में नोटा की जागरूकता पर कोई कार्यक्रम प्रशासन की ओर से नहीं हुआ है।