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चरन सिंह टाइमलाइन न्यूज़ हिंदी संवाददाता
सीबीगंज (बरेली) - शनिवार को शरद पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई गई। शहर में कई जगहों से शोभायात्रा निकाली गई ।

इस दौरान गोष्ठियां कर महर्षि वाल्मीकि के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान भी किया गया। वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में वाल्मीकि बस्तियों में सजावट की गई। वाल्मीकि मंदिरों में भी रामायण पाठ कर प्रसाद वितरित किया गया। सीबीगंज क्षेत्र में भी महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर भव्य कार्यक्रम हुए।

महाकाव्य रामायण के रचयिता, महान ऋषि, कवि और लेखक महर्षि वाल्मीकि का जन्म अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि यानी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसलिए पंचांग के अनुसार वाल्मीकि जयंती हर साल शरद पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है

बताते चले कि वाल्मिकी जयंती, जिसे प्रगट दिवस के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन की महत्ता उन करोड़ों लोगों के दिलों में बहुत बड़ा स्थान रखती है जो वाल्मिकी द्वारा दी गई शिक्षा और कहानियों का पालन करते हैं खासकर महाकाव्य रामायण, जिसे उनके द्वारा लिखा गया था। सीबीगंज में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुकेश बाबू ने महर्षि वाल्मीकि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की महर्षि वाल्मीकि का पूरा जीवन बुरे कर्मों को त्यागकर अच्छे कर्मों और भक्ति की राह पर चलने का मार्ग प्रशस्त करता है।इस अवसर पर कैंट विधायक संजीव अग्रवाल ने कहा की अगर इंसान की इच्छा शक्ति मजबूत हो, तो वह बड़े से बड़ा काम बड़ी ही आसानी से कर सकता है । दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प ही इंसान को रंक से राजा बना सकता है और अज्ञानी को ज्ञानी। खुश्लोक अस्पताल के एम डी विनोद पागरानी ने बताया की महार्षि वाल्मीकि का जीवन हमें सिखाता है कि हम जन्म से उत्तम या निम्न नहीं होते। हमारे कर्म ही तय करते हैं की हम क्या बनना चाहते है। इसलिए मानवता के लिए हमें सदकर्म करने चाहिए धर्म और सत्य की राह पर चलकर महर्षि वाल्मीकि द्वारा बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।

इस कार्यक्रम में शहर विधायक व पर्यावरण मंत्री के अग्रज एडवोकेट अनिल कुमार सक्सेना, भास्कर हॉस्पिटल के एमडी ओपी भास्कर, पार्षद रचित गुप्ता राजन श्रीवास्तव, ज्ञान प्रकाश लोधी, विनोद चौधरी, पूरनलाल लोधी मुकेश बाबू, सुमित वाल्मीकि, रोहित वाल्मीकि, मनीष बाबू, अनिल चौधरी, सुदेश बाबू, सतीश चंद्र बाबू, विनोद सिंह,आदि समाज के संभ्रांत नागरिक उपस्थित रहे। सभी उपस्थित नागरिकों को पगड़ी पहनाकर और बैज लगाकर सम्मानित किया गया।