Friday, 11-07-2025
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मुंशी प्रेमचन्द की स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की

पुण्यतिथि पर उनके योगदान की याद किया

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चरन सिंह टाइमलाइन न्यूज़ हिंदी संवाददाता 

सीबीगंज (बरेली) - क्षेत्र के आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर साप्ताहिक स्वास्थ्य मेला चल रहा है जिस में आज डॉक्टर मधु गुप्ता व उनके स्टाफ ने हिंदी के महान लेखक व कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि के अवसर पर मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर पुष्प अर्पित पर उन्हें श्रद्धांजलि दी । इस मौके पर डॉ मधु गुप्ता ने स्वास्थ्य मेले में आए हुए सभी क्षेत्रवासियों को मुंशी प्रेमचंद के बारे में जानकारी देते हुए कहा की मुंशी प्रेमचंद आम आदमी के  लिए लिखते थे इसलिए उन्हें आम आदमी का लेखक कहा जाता है हम सभी की उनकी स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने की जो सामाजिक जिम्मेदारी है, उसे हमें पूरा करना चाहिए ।

इनर व्हील क्लब ऑफ  ग्लोरी प्लस की चार्टर प्रेसिडेंट डॉक्टर मधु गुप्ता ने मुंशी प्रेमचन्द के बारे में बताया की उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उनके इस अतुलनीय योगदान को देश हमेशा याद रखेंगा। जिसके लिए हम मुंशी जी को नमन करते हैं।

वंही एक अन्य कार्यक्रम में हुमाना फाउंडेशन ने मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर उनको याद किया कार्यक्रम में हुमाना फाउंडेशन के डिवीजन ऑर्गेनाइजर विजय शर्मा एक्सीलेटर प्रतिभा रामकिशोर फाउंडेशन की तरफ से उपस्थित रहे । कार्यक्रम में सभी संबोधित करते हुए बेसिक शिक्षा परिषद की शिक्षिका कल्पना पांडे ने मुंशी प्रेमचंद के बारे में विस्तार से बताया की मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। शिक्षिका शशिवाला जौहरी ने मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी, नमक का दरोगा कहानी पर प्रकाश डालते हुए कहा, इस देश में एक दौर वो भी रहा है जब 1935 में अंग्रेजों ने कानून बनाया था कि नमक खाने और बेचने पर टैक्स लगेगा तब नमक के दरोगा की नियुक्तियां होती थी। लेकिन सोचिए आजादी से पहले लिखी गई _नमक का दरोगा_ में पंडित अलोपीदीन जैसे न जाने कितने लोग आज भी हमारे सिस्टम में मौजूद हैं जो पैसे के दम पर गैर कानूनी काम को भी कानूनी जामा पहनाते हैं । मुंशी जी आम आदमी के लेखक थे, आम आदमी की बात बड़ी ही सादगी से लिख दिया करते थे। वे कभी खास नही हो सके।


इस अवसर पर परिषद के मानवेंद्र सिंह यादव,  नीलम सक्सेना, डॉक्टर नीतू अग्रवाल, अमरपाल कश्यप,आदि शिक्षक उपस्थित रहे सभी ने मुंशी प्रेमचंद को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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