बरियारपुर पुलिस का कारनामा: 6 साल पहले लीवर कैंसर से मर गए थे घोरघट के भैरो साह
पुलिस ने केस डायरी में किया जिंदा, मुर्दे की ली गवाही और निर्दोष कुणाल को भेज दिया जेल
दिनेश कुमार सिंह
पटना । बिहार के मुंगेर जिले के बरियारपुर थाने की पुलिस का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जिसने एक बार फिर बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। जो शख्स 6 साल पहले गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर लीवर कैंसर से मर गया। उसकी गवाही उसके मरने के बाद मुंगेर की बरियारपुर पुलिस ने ले ली। मुर्दे इंसान को अपनी केस डायरी में पहले जिन्दा किया, फिर उसका बयान कलमबद्ध किया और केस डायरी को मुंगेर के माननीय अदालत में समर्पित कर दिया। कहानी बस इतनी सी थी कि वह निर्दोष शख्स अमेरिका में मियामी में दुनिया की बेहतरीन क्रूज़ पर कार्यरत एक इंटरनेशनल सेफ था। उसकी ग़लती मात्र इतनी सी थी कि उसने अपनी मेहनत और लगन से मुंगेर के घोरघट गांव से निकलकर गाव की पगडंडी से निकलकर अमेरिका तक का सफ़र अपने बूते तय कर लिया । उसने पुलिस की रिश्वत लेने की भाषा नहीं समझी। उसे लगा कि अमेरिका की तरह बिहार में भी जस्टिस का वही सिस्टम है ।
सिस्टम पर सवाल : कॉल हिस्ट्री और कॉल रिकॉर्डिंग से खुलासा
बरियारपुर पुलिस के द्वारा किये गए कॉल हिस्ट्री और कॉल रिकॉर्डिंग से इस बात का खुलासा होता है कि पुलिस के मौजूदा सिस्टम से वह कितना अनजान था। मामला कुणाल सुमन का है , जो मुंगेर जिले के घोरघट गांव का स्थानीय निवासी रहा है। उस पर मुंबई की रहने वाली कल्पना निषाद नाम की तलाकशुदा विधवा महिला ने जो उम्र में उनसे 12 साल बड़ी है 498 का केस बरियारपुर थाने में दर्ज करवा दिया। मामला आयने की तरह साफ़ था। अमेरिका में जॉब करने वाले एक लड़के का करियर दाव पर था। केस को रफा दफ़ा करने के लिए मामला कई पड़ाव से गुजरकर अब 40 लाख की वसूली पर टिक गया था। प्रदेश के एक स्वनामधन्य मंत्री अपने दल बल के साथ इस केस में अपनी जाति अस्मिता को जोड़ कर अपनी हिस्सेदारी खोजने में जूट गए । घोरघट गांव में अभियुक्त बनाये गए कुणाल किशोर के खिलाफ कोई गवाह नहीं मिला तो इस केस से जुड़े बरियारपुर पुलिस के जांच अधिकारी वजीर खान ने 6 साल पहले लीवर कैंसर से मर गए घोरघट के भैरो साह को अपना गवाह बना लिया।
केस डायरी में मुर्दे के गवाही
मुर्दे के गवाही लेकर यह रिपोर्ट केस डायरी में दर्ज कर दिया कि मामला 498 का है और घोरघट गांव के भैरो साह इसके केस के चश्मदीद हैं। सबसे हास्यप्रद बात यह है कि इस केस में पुलिस में ना केवल केस दर्ज करने में ग़लती की बल्कि केस नंबर 41 / 20 जीआर नंबर 873 / 20 के केस डायरी को भी शर्मसार कर दिया। मृतक भैरो साह के सुपुत्र चन्दन साह ने बताया कि पुलिस के केस डायरी के मुताबिक वह अपने जन्मदाता पिता का भी पिता है । उसके पिता के पेसर के रूप में उसका नाम अंकित किया गया है .. उसका सर शर्म से झुक गया है । चन्दन में आपने पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र की कॉपी भी पटना उच्य न्यायालय को प्रेषित की है । केस काफी दिलचस्प है। बहरहाल, इस पूरे प्रकरण में तीन गवाहों के बयान पर बेगुनाह कुणाल को मुंगेर के कारागार में बरियारपुर थाने की पुलिस ने भेज दिया है। अगली क़िस्त में उच्य न्यायालय में समर्पित अगले दो निर्दोष गवाहों के बयान जारी ....